सभी केन्द्रीय ट्रेड यूनियनें किसी न किसी चुनावबाज पार्टी से जुड़ी हुयी हैं और इस विरोध का सबसे भद्दा मजाक यह है कि इन जन-विरोधी नीतियों को सरेआम लागू करने वाली काँग्रेस और बीजेपी से जुड़ी यूनियन भी हड़ताल में शामिल हैं वहीं मजदूरों के रहनुमाई का दावा करने वाले संसदीय वामपंथी इस नंपुसक विरोध से सरकार और पूँजीपतियों का हौसला बढ़ाने का ही काम करते हैं।..................read more
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हड़ताल के मायने!