गुरुवार, 25 अक्तूबर 2012

एटीएस की विवादित कार्यशैली पर स्थिति स्पष्ट करने का अखिलेश सरकार पर दबाव

"दारापुरी ने एटीएस और खुफिया एजेंसियों पर इस्लामोफोबिया और असुरक्षा का माहौल फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि जिस तरह अभी पिछले दिनों दिल्ली की एक अदालत से प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की डेढ़ सौवीं वर्षगंाठ पर विस्फोट करने की फिराक में रहने का आरोप लगाकर पकड़ा था, बेगुनाह बरी हुए हैं। जिससे समझा जा सकता है कि राष्ट्रवाद के नाम पर असुरक्षा का भय दिखाने में किस तरह खुफिया एजेंसियां शामिल हैं।"

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एटीएस की विवादित कार्यशैली पर स्थिति स्पष्ट करने का अखिलेश सरकार पर दबाव

अखिलेश का यूपी अब गुजरात बनेगा-फैजाबाद शुरुआत करेगा

  • फैजाबाद में दंगा राज्य सरकार के प्रोत्साहन से हुआ ?
  • दंगे में खुफिया एजेंसी की भूमिका संदिग्ध ?
  • दंगों में आईबी की भूमिका की जांच हो, एसीशर्मा को तत्काल हटाया जाय- रिहाई मंच की मांग
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अखिलेश का यूपी अब गुजरात बनेगा-फैजाबाद शुरुआत करेगा

बुधवार, 24 अक्तूबर 2012

पार्टनर आपकी पाॅलिटिक्स क्या है ?

तरुण भटनागर लिखते हैं कि ‘‘बस्तर में लूट मची है, शोषण, अन्याय और अत्याचार है।’’ लेकिन यह सब कौन कर रहा है और इसके पीछे कौन है ? इस पर वे एक बार फिर अपनी कहानी और पत्र दोनों ही जगह खामोश रहते हैं। कहीं कोई जरा सा भी इशारा नहीं। या यूं कहें, जानते हुए भी असल सवालों से किनाराकशी है। भटनागर यदि जरा सा भी तटस्थ होते, तो वे इस शोषण, अन्याय और अत्याचार के पीछे छिपे असली चेहरों को आसानी से पहचान लेते। उनकी इस बात से शायद ही कोई इत्तेफाक जतलाए कि जंगल में पहले आंदोलन पहुंचा। सच बात तो यह है कि आंदोलन से बहुत पहले सरकार पहुंच चुकी थी। वह भी अपने शोषणकारी चेहरे के साथ।

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मंगलवार, 23 अक्तूबर 2012

शिवमूर्ति की स्वीकृति का बैंड-बाजा

दलितोत्थान की गाथाएं अब सब की जुबान पर हैं। ए राजा से लगायत मायावती तक। राजधानियों के राजमार्गों से लगायत गांवों की मेड़ों तक।.......
शिवमूर्ति एक ईमानदार कथाकार हैं। इस लिए वह कथ्य में अपने जातिगत विरोध वाले मित्रों की तरह बेईमानी नहीं कर पाते
कोई कितना भी बेहतरीन रचनाकार क्यों न हो, हर कोई उसे पढ़ेगा ही यह भी कतई ज़रुरी नहीं है।
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शिवमूर्ति की स्वीकृति का बैंड-बाजा

रविवार, 21 अक्तूबर 2012

यही परम्परा रही है अपनी-आदर्श उच्चतम रखो लेकिन जियो निम्नतम

अगर गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली सीबीआई संदिग्ध हो सकती है तो पार्टी का लोकपाल भी हो सकता है। एक और बात की लोकपाल भले ही जज होगा पर होगा तो रिटायर्ड ही। संविधान के अनुसार शक्तियाँ पद को मिलती हैं व्यक्ति को नहीं
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यही परम्परा रही है अपनी-आदर्श उच्चतम रखो लेकिन जियो निम्नतम। |

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