दलितोत्थान की गाथाएं अब सब की जुबान पर हैं। ए राजा से लगायत मायावती तक। राजधानियों के राजमार्गों से लगायत गांवों की मेड़ों तक।.......
शिवमूर्ति एक ईमानदार कथाकार हैं। इस लिए वह कथ्य में अपने जातिगत विरोध वाले मित्रों की तरह बेईमानी नहीं कर पाते
कोई कितना भी बेहतरीन रचनाकार क्यों न हो, हर कोई उसे पढ़ेगा ही यह भी कतई ज़रुरी नहीं है।
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