शनिवार, 2 अगस्त 2008

क्या सारे आतंकवादी मुसलमान हैं का " दूसरा भाग -----


चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी
क्या सारे आतंकवादी मुसलमान हैं का " दूसरा भाग ----- हिन्दुस्तान में ही गैर मुस्लिम आतंकवादी संगठनो की तादात मुस्लिम आतंकवादी संगठनो से ज्यादा है। फिर सारे आतंकवादी मुसलमान कैसे हो गए? मैं फिर कहना चाहूँगा और जोर देकर कहना चाहूँगा कि सिर्फ ओसामा बिन लादेन, मुल्ला उमर, शहीद बदर या कुछ सौ या कुछ हज़ार आतंकवादियों के आधार पर आप किसी एक मज़हब को आतंकवादी घोषित कैसे कर सकते हैं? ठीक उसी प्रकार जैसे आप किसी एक नरेंद्र मोदी , प्रवीण तोगडिया , आडवानी या अशोक सिंघल या बाल ठाकरे के कर्मों के आधार पर सारे हिन्दुओं को हत्यारा या फिरकापरस्त नहीं कह सकते !!! या सूरत, मुम्बई, और अहमदाबाद की सड़कों पर कांच की बोतलों पर औरतों को नंगी नचाने वालों के कुकर्मों के आधार पर आप हिन्दू धर्म को बलात्कारियों और हत्यारों का धर्म नहीं कह सकते!!! कुरान-शरीफ की सूर-अ - इब्राहीम की एक आयत कहती है कि -" ये सूरज, चाँद , सितारे ज़मीन आसमान सब अल्लाह तबारक अता आला ने नौ - अ - इंसानी के लिए बनाए हैं और अल्लाह तबारक अता आला इनका रब्बुलेआल्मीन है. सूना आपने ...क्या कहती है कुराने पाक ? ये सब नौ -अ-इंसानी के लिए बनाए गए हैं ...नौ अ मुसलमानी के लिए नहीं!!!!! जो मज़हब इतना उदात्त सन्देश देता हो बेंगलुरु, अहमदाबाद और जयपुर का बहशी दरिंदा -हत्यारा कम से कम मेरी नज़र में उस मज़हब को मानने वाला नहीं हो सकता!!!! इस मुल्क ने देखा कि कैसे इन हादसात पर भी ज़बरदस्त राजनीति हो रही है. अभी तक भाजपा को ऐसे नाज़ुक हालत में ओछी राजनीति करने के लिए जाना जाता था. लेकिन पिछले दो तीन दिनों में सरकार के लोगों की तरफ से जो जवाबी बयान बाजी हो रही है उससे कम से कम मेरे जैसे हिन्दुस्तानी का माथा शर्म से झुक जाता है . आम हिन्दुस्तानियों का ये दायित्व है कि संकट की इस घड़ी में आपसी भाईचारा , इंसानियत और हिंदुस्तानियत की रक्षा के लिए कदम से कदम मिलाकर एकजुट रहें और उन ताकतों के नापाक मंसूबों को ध्वस्त कर दें जो इस देश के अमन और चैन को नष्ट करना चाहते हैं. ये वो मुल्क है जहां से अगर गौतम बुद्ध ने अहिंसा परमो धर्मं: का पाठ पढाया तो, "वसुधैव कुटुम्बकम" का उद्घोष भी इसे सरज़मीन से हुआ तो हज़रात निजामुद्दें औलिया ने सारी दुनिया को मोहब्बत का पैगाम भी इसी सरज़मीन से दिया...यही ताकत हिन्दुस्तान का वजूद कायम रखेगी . इस वजूद को कायम रखने की जिम्मेदारी आम हिन्दुस्तानी की है राजनेताओं की नहीं. राजनेताओं से सिर्फ और सिर्फ लाशों पर रोटियां सेंकने और बयानबाजी की उम्मीद की जा सकती है... [ ye article www.newswing.com aur www.emsindia.com newsportals dwara praakishit kiyaa gayaa hai.}

गुरुवार, 31 जुलाई 2008

क्या सारे आतंकवादी मुसलमान हैं?


चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी
"बात लगभग एक वर्ष पहले की है.एक बड़े राष्ट्रीयकृत मीडिया संस्थान में आतंकवाद पर अनौपचारिक चर्चा हो रही थी.एक सज्जन ने कहा कि सारे मुसलमानोंको आतंकवादी कैसे कहा जा सकता है/?बात कुछ कायदे की थी,परन्तु एक बड़े पत्रकार ने सवाल किया कि ठीक है सारे मुसलमान आतंकवादी नहीं हैं, लेकिन सारे आतंकवादी तो मुसलमान हैं? प्रश्न कुछ ऐसा था कि पहले वाले सज्जन निरुत्तर हो गए. बाद में बहस चलती रही. अधिकांशत: बुद्द्धिजीवी ऐसा ही तर्क देते हैं.लेकिन कम से कम मैं तो ऐसे तर्क से सहमत नहीं हो सकता हूँ . अगर यह बात मान भी ली जाए कि सारे आतंकवादी मुसलमान हैं, तो फिर प्रभाकरण , भिन्दर्वाला , लाल्देंगा और परेश बरुआ भी मुसलमान हैं? दरअसल सारे आतंकवादियों को मुसलमान और मुसलमानों को आतंकवादी बताने वाली मानसिकता ही आतंकवादी पैदा कर रही है. इस गंभीर मुद्दे पर जिस प्रकार की ओछी राजनीति और बौध्हिक बहस हो रही है वो आतंकवाद को और बढ़ावा देने वाली ही है. मेरे एक मित्र हैं पेशे से इंजीनिअर हैं, पढ़े लिखे तहजीबयाफ्ता खानदान से ताल्लुक रखते हैं पिछले दिनों किराए पर मकान की तलाश में थे . एक हज़ार मकान देखे होंगे तब जाकर मकान मिला. जब सारी बात तय हो जाती थी तब मालिक मकान साहब पूछते थे किनाम क्या है? नाम के आगे खान सुनते ही उनका किराए पर मकान देने का इरादा बदल जाता था.अब आप तय करें कि जिस शरीफ खानदान के इंसान के साथ यह बर्ताव आम हो क्या वो आतंकवादी नहीं बनेगा? एक विद्वान का लेख पढ़ रहा था. वो विद्वान् बता रहे थे कि कोलकाता में जितनी मस्जिदें और मदरसे हैं उसकी तीन गुने बंगलादेश की सरहदी जिलों पर हैं. यह विद्वान् सारे मदरसों को आतंक वाद का अड्डा निरूपित कर रहे थे . अब अगर हमारे विद्वानों का यह हाल है तो जाहिलों का तो भगवान् ही मालिक है? मेरे मरहूम वालिद ने पहली बार जब कोई अक्षर लिखा था तो वो जगह एक मदरसा थी,सबसे पहले जिस भाषा में उन्होंने लिखना और पढ़ना सीखा वो भाषा फारसी थी और हिंदी उनहोंने तब सीखी जब उनकी उम्र २५ ओअर्ष थी. अब इन विद्वान् को कौन समझाए कि मेरे पिटा एक पुरानपंथी ब्रह्मण परिवार से थी और उनके लगभग सभी समकालीनों ने शिक्षा उन्ही मदरसों में पायी थी जिन्हें आज आतंकवाद का अड्डा बताया जा रहा है. क्या आपने कभी यह सर्वे करने की कोशिश की है कि देश भर की मस्जिदों में ७५% इमाम सरहदी बंगाल और बिहार के बाशिंदे होते हैं जो ७०० रूपये से १००० रूपये प्रतिमाह की पगार पर मस्जिदों में इमामत करते हैं. अब हमारे तथाकथित विद्वान् एक निष्कर्ष में इन सारे इमाम साहबान को आतंकवाद का पुरोधा साबित कर देंगे? लेकिन इसका कारण महज यह है कि सरहदी बंगाल और बिहार में गरीबी और गुरबत इन ऊंचे पायचे का पाजामा पहनने वालो को मजबूर कर देती है कि वो मदरसों में पढें ताकि आगे चलकर उन्हें रोटी मय्यस्सर हो सके . वरना कौन आदमी है जो आज के दौर में अपने बच्चो को अच्छी तालीम नहीं देना चाहेगा? एक शब्द बार बार बड़ी तीव्रता के साथ गूँज रहा है" जेहादी तत्व" . ये शब्द उन लोगों की ईजाद है जो तथाकथित राम मंदिर बनवाने के नाम पर अमरीका और कनाडा से अरबों डालर इकट्ठा करते हैं और आज तक देश को इस धन का कोई ब्योरा नहीं देते. जो लोग धर्म का मर्म नहीं समझ सकते वो जेहाद का उसूल भी नहीं समझ सकते!!! जिस दौर में जेहाद हुआ उसकी एक घटना का जिक्र करना उचित होगा. अरब की फौजों ने रोम को फतह कर लिया . खलीफा बग़दाद से रोम पहुंचे तो उन्होंने अपने सैनिको से पूछा कि रोम करर इमारतें सूना है बहुत खूबसूरत हैं? सैनिको ने जवाब दिया कि उन्हें नहीं मालूम. खलीफा ने पूछा क्यों? सैनिको ने जो जवाब दिया, वो इस मज़हब के करेक्टर को समझने के लिए काफी है. सैनिको ने जवाब दिया कि हुजूर इमारतों पर रोम वसियोम की औरतें खादी रहती हैं इसलिए हम कभी इन इमारतों को देख ही नहीं पाए.!!!जिस मज़हब यह करेक्टर हो , क्या वो मासूम और बेगुनाह बच्चो और औरतो के खून से अपना हाथ लाल कर सकता है? बेशक नहीं . इसलिए मैं कहता हूँ और जोर देकर कहता हूँ कि आतंकवादी किसी भी सूरत में मुसलमान नहीं हो सकता . और अगर वो यह दावा करे कि वो मुसलमान है तो यह जिम्मेदारी उलेमाओं पर आयद होती है कि उसे इस्लाम से बहिष्कृत करे. आतंकवाद का जो नमूना बेंगलुरु,अहमदाबाद और पहले जयपुर में देखने को मिला, यह नामूमना पूरे दुनिया में सबसे पहले श्रीलंकाई छापामारों लिट्टे ने अपनाया और लिट्टे को इस्रायली खुफिया एजेन्सी मोसाद ने प्रशिक्षित किया है . हिन्दुस्तान नम ही गैर मुस्लिम आतंकवादी संगठनो की तादात की ----------जारी भाग-२ में काल मूल रूप में पढने के लिए www.newswing.com पर क्लीक karen